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लेखनी प्रतियोगिता -23-Jun-2022 पिया परदेसी

पिया परदेसी


चूड़ी बोले कंगना डोले 
मनवा क्यों खाए हिचकोले 
हार सिंगार कुछ ना सुहाए 
दिल में भड़क रहे हैं शोले 

तुम बिन सजन मैं कुछ नहीं 
ये ठंडी पवन क्या कह रही 
रिमझिम सावन तड़पा रहा 
काश कि तुम होते यहीं कहीं 

बिजली बैरन अगन लगाए 
कारे कारे बदरा मुझे डराए 
मौसम बेईमान मन ललचाए 
आंचल उड़ उड़ तुझे बुलाए 

सब सखियों के कंत यहीं हैं 
एक मैं ही विरहिन घूम रही 
सावन के संग अंखियां बरसे 
अंसुअन के मोती चूम रही 

तुम बिन सूनी सेज पडी 
राह तकूं मैं द्वार खड़ी 
दिन गुजरे ना रैन कटे 
दुख की बदली नाही छंटे 

दो रोटी में सबर कर ले 
कुछ तो मेरी खबर ले ले 
विरह में यौवन गुजर ना जाये 
ना जाने हाय, कब तू आये 

कहीं सौतन तो नहीं कर ली 
बैंया किसी की तो नहीं धर ली 
आजा बैरी , उड़कर आजा 
मोहिनी मूरत मुझे दिखा जा 

चाहे फिर वापस चले जाना 
सास ननद के सह लूंगी ताना 
ऐ री पवन , पैगाम ले जाना 
संग ही उनको लेकर आना 

हरिशंकर गोयल "हरि" 
23.6.22 


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9 Comments

Punam verma

24-Jun-2022 11:13 AM

Very nice

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Shrishti pandey

24-Jun-2022 10:54 AM

Nice

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Abhinav ji

24-Jun-2022 07:49 AM

Very nice👍

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